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पहले DCP की पिटाई… फिर समझौता हुआ, अब तबादला कर PAP भेजा गया : Aap विधायक से पंगा पड़ा भारी

विधायक से पंगा लेने पर डीसीपी सिक्योरिटी नरेश डोगरा को दोहरी सजा भुगतनी पड़ी है। समझौते के बाद डीसीपी पर विधायक रमन अरोड़ा भारी पड़े हैं और उनका तबादला पीएपी में कर दिया गया है। डीसीपी डोगरा को रमन अरोड़ा से पंगा काफी महंगा साबित हुआ। इस तबादले के बाद से पुलिस विभाग में खासी हलचल मची हुई है।

जालंधर शहर में डीसीपी के तबादले के बाद विधायक रमन अरोड़ा का खाकी पर दबदबा बढ़ गया है। वीडियो में डीसीपी को फर्श पर बैठाकर पीटने की घटना से खाकी पर काफी गहरा असर हुआ है। डीसीपी सिक्योरिटी के पद से हटाकर इंस्पेक्टर जनरल के अधीन पीएपी-2 में लगाया गया है। नरेश डोगरा का तबादला डेपुटेशन पर पीएपी में बतौर एआईजी किया गया है। हालांकि बुधवार को वायरल वीडियो में विधायक रमन अरोड़ा ने फोन पर डीसीपी को कहा था कि काका दस तूं जाना कित्थे है….?

बुधवार को समझौते के बाद कयास लगाये जा रहे थे कि मामले का पटापेक्ष हो गया है और इसमें गिले शिकवे दूर हो गए हैं लेकिन गुरुवार को तबादले का पत्र डीसीपी के हाथ में थमा दिया गया है। डीसीपी डोगरा ने फोन उठाना बंद कर दिया है लेकिन उनके तबादले को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ चुकी है और आम आदमी पार्टी पूरी तरह से बैकफुट पर है। आम आदमी पार्टी की तरफ से डीसीपी के तबादले के बाद कोई भी बयान जारी नहीं किया गया है।

डीसीपी डोगरा को फर्श पर बैठाकर पीटने की वीडियो वायरल होने के बाद कयास लगाये जा रहे थे कि जिन लोगों ने उनको पीटा है। उन्हें पुलिस काबू करेगी लेकिन उनका तबादला होने से आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा एक दबंग छवि लेकर उभरे हैं। डीसीपी डोगरा ने अपना मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर लिया है।

जानकारी के मुताबिक बुधवार सुबह चार बजे की घटना के बाद विधायक रमन अरोड़ा अपने साथी विधायक शीतल अंगुराल के साथ आप के शांति मार्च में शरीक होने चंडीगढ़ चले गए थे। वहां पर सीएम भगवंत मान के साथ मुलाकात हुई और उनको सारी घटना से अवगत करवाकर डीसीपी पर कार्रवाई की मांग की गई। उसी समय विधायक रमन अरोड़ा को आश्वासन दे दिया गया था कि डीसीपी नरेश डोगरा का तबादला 24 घंटे में कर दिया जाएगा। साथ ही पार्टी हाईकमान ने मामले को निपटाने का आदेश भी दिया गया।
गुरुवार जालंधर पहुंचकर रमन अरोड़ा व डीसीपी नरेश डोगरा के बीच सुलह बैठक शुरू हुई, जिसमें दोनों तरफ से कॉमन दोस्त बैठे। मामले में सुलह हो गई और दोनों तरफ से तय किया गया कि अब एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं होगी। जैसे ही सुलह की खबर बाहर आई तो कमिश्नर पुलिस से लेकर कांस्टेबल तक के मुलाजिमों ने सुख की सांस ली लेकिन डीसीपी के तबादले की पटकथा तो पहले से लिखी जा चुकी थी।

सुलह के बाद शुक्रवार सुबह दिन निकलते ही डीसीपी नरेश डोगरा के तबादले का पत्र जारी हो गया। उसके बाद से डीसीपी ने मोबाइल बंद कर लिया। जालंधर में डीसीपी सिक्योरिटी फिलहाल किसी को लगाया नहीं गया है। पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, डीजीपी गौरव यादव ने डीसीपी की पिटाई को काफी गंभीरता से लिया है।

डीसीपी का पद एसएसपी रैंक के बराबर का होता है और एसएसपी स्तर के अधिकारी की पिटाई से पुलिस फोर्स के अधिकारी काफी आहत हैं। लेकिन सरकार के हुक्म के बाद डीसीपी का तबादला करना ही पड़ा। वहीं कमिश्नर पुलिस गुरशरण सिंह संधू पर भी गाज गिराने की तैयारी चल रही है। बुधवार देर रात को छह घंटे तक डोगरा का प्रकरण चलता रहा और गुरुवार सुबह 4 बजे तक चला।

डीसीपी तेजा उसको भीड़ से बचाकर इमारत से निकालकर ले गए लेकिन इस दौरान पुलिस कमिशनर जो पैदल चलकर अपनी सरकारी कोठी से घटनास्थल पर आ सकते थे, वह नहीं पहुंचे। जिस स्थान पर डीसीपी डोगरा के साथ मारपीट हुई, वह कमिश्नर पुलिस जीएस संधू की कोठी से पैदल दो मिनट की दूरी पर है। लिहाजा, इस बात को भी डीजीपी की तरफ से गंभीरता से लिया जा रहा है कि एक डीसीपी स्तर के अधिकारी की पिटाई होती रही और कमिश्नर अपनी कोठी से निकलकर नहीं आए।

पुलिस कमिश्नर से मिले पुलिस परिवार वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य
जालंधर सेंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा और डीसीपी नरेश डोगरा विवाद में एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ पुलिस परिवार वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य पुलिस कमिश्नर गुरशरण सिंह संधू से मिले और मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की। रिटायर्ड पुलिसकर्मियों ने कहा कि एक विधायक ने अधिकारी को जलील कर तबादला करवा कर पीएपी भिजवा दिया, जिससे हमारे सम्मान को ठेस पहुंची है।सदस्यों ने कहा कि विधायक रमन अरोड़ा ने डीसीपी नरेश डोगरा के साथ जो भी किया है, वह बहुत ही गलत है ऐसे तो कल को किसी भी विभाग में कोई गजटेड अफसर या एसएचओ जाने से कतराएगा। सरकार को चाहिए कि ऐसे विधायकों पर सख्त एक्शन लिया जाए और साथ ही हमारी आप से भी विनती है कि इस मामले को लेकर एक एसआईटी गठित की जाए और इसकी निष्पक्ष जांच करवाई जाए। विधायक और उनके साथियों की ओर से एक उच्च अधिकारी के साथ मारपीट और बाद में उनका तबादला करवाना बहुत ही निंदनीय है।

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