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पठानकोट में राज्यपाल बोले: पंजाब के हालात संतोषजनक नहीं, नशा व हथियार तस्करी में थाने तक संलिप्त

पठानकोट पहुंचे पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि सीमावर्ती गांवों के कुछ लोग और थाने तक तस्करी में संलिप्त हैं। मुख्य सचिव और डीजीपी के सामने भी यह कहने में एतराज नहीं। डीजीपी को कहना चाहता हूं कि जो लोग इसमें शामिल हैं उन्हें निकाल बाहर कीजिए। जिस पर शक भी है उसे भी बाहर निकाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पंजाब के हालात संतोषजनक नहीं हैं। सीमा पार से नशा और हथियार तस्करी बड़ी समस्या है। 12-12 पिस्टल एक अपराधी से मिल रहे हैं, यह अच्छे संकेत नहीं हैं। जब तक लोग सहयोग नहीं करेंगे, तब तक इसे रोका नहीं जा सकता। पंजाब के लोग अगर पुलिस और बीएसएफ को सहयोग करें तो पाकिस्तान से हथियारों और नशे की तस्करी को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

राज्यपाल पठानकोट में सीमावर्ती इलाकों के पंचों और सरपंचों से मुलाकात करने पहुंचे थे। बता दें कि राज्यपाल बनने के बाद से बनवारी लाल पुरोहित का पठानकोट में तीसरा दौरा है। उन्होंने कहा कि पिछले दौरे के वक्त प्रदेश और केंद्रीय एजेंसियों में तालमेल की कमी महसूस हुई थी लेकिन अब पहले के मुकाबले हालात सुधरे हैं।

उन्होंने कहा कि राजभवन में बैठकर वह पंजाब का भला नहीं कर सकते। पंजाब की बेहतरी के लिए इसे जानना अति आवश्यक है। अपने एक साल के कार्यकाल में उन्होंने 23 जिलों का दौरा किया है, जिसमें सामने आया कि पंजाब के छह सीमावर्ती जिले हैं जो इस समय बेहद संवेदनशील हैं। इन जिलों को लेकर वह बीएसएफ और डीजीपी से लगातार संपर्क में रहते हैं। राज्यपाल ने कहा कि अवैध खनन बड़ी समस्या है। अवैध खनन से पुल टूट रहे हैं, सेना के बंकर खतरे में हैं। अवैध खनन को लेकर सेना चिंता में है। सरपंच अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाएं।

मेरे कार्यकाल में चार डीजीपी बदले: राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि पंजाब में एक साल के दौरान चार डीजीपी बदल गए। हर बार नए डीजीपी से तालमेल करना पड़ता है। जब तक किसी डीजीपी को काम की समझ आती है उसे बदल दिया जाता है। ऐसे में सीमा पार से नशे और हथियारों की तस्करी खत्म करना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि गौरव यादव को अब 2-3 साल तक डीजीपी रहना चाहिए ताकि वह अपराध पर अपना शिकंजा कस सकें। इसके लिए मुख्यमंत्री से भी बात की जाएगी।

सीमा को सुरक्षित करने में सरपंचों का अहम रोल
राज्यपाल ने कहा कि सीमावर्ती गांवों के सरपंचों का सीमा को सुरक्षित करने में अहम रोल हो सकता है। सरपंच गांव के हर अच्छे-बुरे व्यक्ति की पहचान रखता है। ऐसे में अगर कुछ संदिग्ध लगे तो पुलिस और बीएसएफ से बात करें। उन्होंने कहा कि हर सीमावर्ती गांव में ग्राम सुरक्षा समिति का गठन किया जाए, जिसमें 11 प्रमुख लोगों को शामिल किया जाए। इस समिति को कुछ भी गड़बड़ लगे तो कार्रवाई के लिए पुलिस या बीएसएफ को बताया जाए। सरपंच सतर्क रहें तभी पंजाब के छह सीमावर्ती जिलों में नशे और हथियारों की तस्करी को रोका जा सकता है।

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