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पंजाब के राज्यपाल ने सीएम मान को लिखा पत्र और मंत्री अमन अरोड़ा को अभी तक पद से नहीं हटाने की पूछी वजह
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर पूछा कि पारिवारिक विवाद मामले में हाल ही में दोषी ठहराए गए राज्य के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद उनकी सदस्यता से क्यों नहीं हटाया गया? उन्होंने इस आपराधिक केस की पूरी रिपोर्ट तलब की है। पुरोहित ने अपने पत्र में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया है, जिसके अनुसार अगर किसी विधायक को दोषी ठहराया जाता है और निचली अदालत द्वारा कम से कम दो साल की कैद की सजा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता छीन ली जाती है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब के मंत्री अमन अरोड़ा और आठ अन्य को संगरूर जिले की एक अदालत ने 21 दिसंबर को 15 साल पुराने मारपीट के मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई थी। अरोड़ा के एक रिश्तेदार ने उन पर अपने घर में हमला करने का आरोप लगाया था। अमन अरोड़ा अभी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, मुद्रण और स्टेशनरी, रोजगार सृजन और प्रशिक्षण और शासन सुधार विभाग देख रहे हैं।
राज्यपाल ने मान को लिखा कि यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन न करने से जुड़ा एक गंभीर मामला है। क्या मुझे पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मिल सकती है? उन्होंने कहा कि कृपया आपराधिक मामले में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा की सजा के संबंध में प्राप्त संलग्न प्रतिवेदन को देखें। राज्यपाल ने इसे मीडिया से साझा नहीं किया है।
पुरोहित ने लिखा कि 21 दिसंबर 2023 को एक अदालत ने अमन अरोड़ा को दो साल की सजा सुनाई थी और सक्षम उच्च न्यायालय ने अभी तक सजा पर रोक नहीं लगाई है। लिली थॉमस बनाम भारत संघ के मामले में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार अगर विधानसभा के सदस्यों को दोषी ठहराया जाता है और ट्रायल कोर्ट कम से कम दो साल की अवधि के लिए कारावास की सजा सुनाता है तो उन्हें सदस्यता से वंचित कर दिया जाता है।
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