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घर-घर राशन योजना पर हाईकोर्ट की रोक, एक अक्तूबर से होनी थी शुरुआत: मान सरकार को बड़ा झटका

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की घर-घर राशन पहुंचाने की योजना (तीसरे पक्ष को लाभ देने) पर रोक लगा दी है। बठिंडा के डिपो होल्डर वेलफेयर एसोसिएशन की दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार से इस संबंध में 28 सितंबर तक जवाब मांगा है। राज्य सरकार की यह योजना सूबे में एक अक्तूबर से लागू होनी है।

एसोसिएशन ने हाईकोर्ट को बताया गया कि एसोसिएशन के सदस्य पंजाब में उचित मूल्य की दुकानें चलाते हैं। वह लाभार्थियों तक राशन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। अब सरकार ने गेहूं पिसवा कर निजी कंपनी के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के घर एजेंसी के माध्यम से पहुंचाने की योजना बनाई है।

याचिका के अनुसार, सरकार का यह फैसला संविधान में मौजूद प्रावधानों के विपरीत है। भारत सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली तैयार की है और अनाज को इसी प्रणाली के माध्यम से ही वितरित किया जाना चाहिए लेकिन पंजाब सरकार ने निजी कंपनियों को बीच में लाकर उचित मूल्य की दुकानों की अनदेखी की है। याचिका में पंजाब सरकार की इस योजना को रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि पंजाब में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से छेड़छाड़ न करने का पंजाब सरकार को आदेश दिया जाए।

17,000 दुकानों को किया जा रहा बायपास
याचिका में बताया गया कि पंजाब में 17,000 उचित मूल्य की दुकानों का नेटवर्क मौजूद है लेकिन सरकार इनकी अनदेखी कर रही है। याची ने बताया कि केंद्र सरकार ने तीन नवंबर 2014 को सर्कुलर जारी कर राज्यों को कहा था कि खाद्य सामग्री का वितरण टारगेट पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के नेटवर्क के माध्यम से किया जाएगा। इसके बावजूद पंजाब सरकार नेटवर्क से बाहर जाकर काम कर रही है।

दिल्ली में खारिज हो चुका है टेंडर
याचिकाकर्ता ने बताया कि पंजाब में घर-घर राशन की स्कीम से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार ने इसे दिल्ली में लागू करने की योजना बनाई थी लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने टेंडर प्रक्रिया को खारिज कर दिया था। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले का भी उल्लेख किया गया है।

गेहूं की जगह आटे की होम डिलीवरी करना चाहती है सरकार
पंजाब सरकार यह योजना एक अक्तूबर से सूबे में लागू करने जा रही थी। इस योजना के तहत राशन का वितरण तिमाही की जगह महीनेवार किया जाना था। यह भी तय किया गया था कि सरकार अब लाभपात्रों को गेहूं के स्थान पर आटा देगी और इसकी होम डिलीवरी भी की जाएगी। इसके लिए सरकार ने सूबे को आठ जोन में बांटा था। इस फैसले पर जब राशन दुकानदारों ने एतराज जताया तो सरकार ने होम डिलीवरी की योजना को लचीला किया और लाभपात्रों पर छोड़ दिया कि अगर वह चाहें तो डिपो पर जाकर राशन ले सकते हैं।

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