
दुष्कर्म और पॉक्सो केसों की जांच में Punjab पिछड़ा State, Punjab Government ने मानी कमी, सुधार का दिया भरोसा
दुष्कर्म और पॉक्सो से जुड़े मामलों की जांच को लेकर पंजाब का प्रदर्शन अन्य राज्यों के मुकाबले खराब है। पंजाब में ऐसे 50 फीसदी मामलों की भी जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। हालांकि इस मामले में जम्मू-कश्मीर 11.85 फीसदी केसों के निपटारे के साथ सबसे पीछे है लेकिन देश में ऐसे मामलों के तेजी से निपटारे में दिल्ली सबसे आगे है, जहां 70.60 फीसदी केसों का निपटारा किया जा चुका है। यह खुलासा उत्तर क्षेत्रीय परिषद में विचार-विमर्श के लिए रखे जाने वाले मुद्दों की फेहरिस्त तैयार करते समय हुआ है।
परिषद की चेयरपर्सन अनुराधा प्रसाद द्वारा यह मुद्दा राज्यों के समक्ष रखते हुए कहा गया है कि परिषद की प्रत्येक बैठक में इन पर राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले मामलों के रूप में विचार-विमर्श किया जाता है। उन्होंने सभी राज्यों से केसों के निपटारे की ताजा आंकड़ों पर स्थिति स्पष्ट करने को भी कहा है।
पंजाब के गृह सचिव अनुराग वर्मा ने परिषद को भेजे जवाब में माना है कि ऐसे मामलों में पंजाब का प्रदर्शन निर्धारित स्तर से कुछ नीचे है। उन्होंने परिषद को यह भी बताया है कि सरकार ने उन जिलों की पहचान कर ली है, जहां ऐसे केसों के निपटारे में ढिलाई बरती जा रही है और इन जिलों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने आगे लिखा है कि एडीजीपी (महिला एवं बाल मामले) को संबंधित जिलों के एसएसपी के साथ साप्ताहिक बैठक करने को कहा गया है। अनुराग वर्मा ने परिषद को भरोसा दिलाया है कि अगली बैठक तक पंजाब का प्रदर्शन इस मामले में काफी बेहतर हो चुका होगा।
गौरतलब है कि पंजाब में पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म केसों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है। पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केसों की सुनवाई के लिए तीन विशेष अदालतों में दो लुधियाना में और एक जालंधर में है। इसी प्रकार दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए सात विशेष अदालतों का गठन किया गया है।
इनमें चार लुधियाना में और एक-एक जालंधर, अमृतसर और फिरोजपुर में हैं। वहीं, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की पॉक्सो एक्ट के दर्ज केसों के बारे ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 31 जनवरी 2022 तक पंजाब में 2504 केसों की सुनवाई लंबित थी, जोकि जून 2022 में घटकर 1112 केस रह गई है। वर्ष 2018 से 2022 के बीच पंजाब में पॉक्सो एक्ट संबंधी 37.4 फीसदी केसों का ही निपटारा हो सका है।
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