Punjab की Bhagwant Maan सरकार को झटका, राज्यपाल ने रद्द किया विशेष सत्र
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने के लिए बुलाया गया विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र रद्द कर दिया है। उन्होंने राज्य सरकार को दी गई अनुमति वापस ले ली। भाजपा पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों द्वारा खरीद फरोख्त के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार ने वीरवार को एक दिन का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया था। विपक्ष के पत्रों के बाद नियमों का हवाला देते हुए राज्यपाल ने अपनी अनुमति वापस ले ली।
राज्यपाल ने बुधवार शाम को इस संबंध में आदेश जारी करते हुए लिखा कि केवल विश्वास मत हासिल करने के विचार से विधानसभा का सत्र बुलाने के फैसले में विशिष्ट नियमों के अभाव के चलते, मैं अपने उस आदेश को वापस ले रहा हूं, जिसके तहत 20 सितंबर को 16वीं पंजाब विधानसभा का तीसरा विशेष सत्र बुलाने की अनुमति दी गई थी।
विधानसभा का विशेष सत्र असांविधानिक
भुलत्थ से कांग्रेस विधायक और किसान कांग्रेस के प्रधान सुखपाल सिंह खैरा ने पंजाब के राज्यपाल को पत्र लिखकर 22 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र की अनुमति न देने का आग्रह किया। उन्होंने पत्र में विधानसभा के इस विशेष सत्र को असांविधानिक बताते हुए कहा है कि सदन की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के तहत विश्वास प्रस्ताव का कोई प्रावधान नहीं है।
खैरा ने पत्र में लिखा कि भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपना बहुमत साबित करने के लिए तथाकथित ऑपरेशन लोटस की आड़ में केवल अफवाहों और अस्पष्ट आरोपों के आधार पर पंजाब विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र का प्रस्ताव रखा है, ताकि अपने मंत्रिपरिषद के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव पारित कर सके।
इस आधार पर रद्द हुआ सत्र बुलाने का फैसला
राज्यपाल के विशेष सचिव जेएम बालामुरुगन की तरफ से पंजाब विधानसभा के सचिव सुरिंदर पाल को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बुधवार को विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, विधायक सुखपाल सिंह खैरा और विधायक एवं पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा द्वारा दी गई रिप्रजेंटेशन में बताया गया कि राज्य सरकार के पक्ष में केवल विश्वास मत लाने के उद्देश्य से विशेष सत्र बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इस रिप्रजेंटेशन पर भारत के एडिशनल सोलिसिटर सत्यपाल जैन से कानूनी राय ली गई। उन्होंने अपनी राय में कहा कि पंजाब विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के तहत केवल विश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए विधानसभा सत्र बुलाने के किसी विशिष्ट नियम का प्रावधान नहीं है। इस कानूनी राय को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के अपने 20 सितंबर को आदेश को वापस ले लिया है।
जनता का पैसा बर्बाद होने से बचा: शिअद
शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि राज्यपाल पुरोहित द्वारा विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र को दी गई अनुमति वापस लेने से जनता का पैसा बर्बाद होने से बच गया। पार्टी का कहना है कि भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल केवल एक सियासी ड्रामेबाजी के लिए जनता का पैसा बर्बाद करने वाले थे। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि बेनकाब होने के बाद इस्तीफा देने के बजाय मान ने ध्यान बंटाने के लिए यह तरीका ढूंढा था। अगर वह सचमुच रिश्वतखोरी के मामले से चिंतित थे तो उन्हें सीबीआई या हाईकोर्ट की निगरानी में जांच करानी चाहिए थी। एक बयान में बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि इस सारे मामले की विस्तार से जांच कराई जानी चाहिए ताकि आप के दावों के अनुसार साजिश के असली दोषियों को बेनकाब किया जा सके। उन्होंने कहा कि आप के दावे के अनुसार यह सब कुछ चंडीगढ़ में हुआ। इस तरह यह अपराध चंडीगढ़ पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है और चंडीगढ़ के प्रशासक होने के नाते राज्यपाल को इस मामले की जांच के आदेश देने चाहिए।
फिर तो जनतंत्र खत्म है : केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के राज्यपाल द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुमति वापस लिए जाने के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया- राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं। फिर तो जनतंत्र खत्म है। दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाजत दी। जब आपरेशन लोटस फेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फोन आया कि इजाजत वापस ले लो। आज देश में एक तरफ संविधान और दूसरी तरफ आपरेशन लोटस।
जनता सब देख रही है : भगवंत मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया, राज्यपाल द्वारा विधानसभा न चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़ा सवाल पैदा करता है… अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति? इस तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ आपरेशन लोटस… जनता सब देख रही है…।
संसदीय लोकतंत्र ठप हो जाएगा: राघव चड्डा
आप सांसद और पंजाब सरकार की सलाहकार कमेटी के चेयरमैन राघव चड्डा ने ट्वीट किया- राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे होते हैं और इन मामलों में उनके पास कोई विवेकाधिकार नहीं होता है। भारत में संसदीय लोकतंत्र ठप हो जाएगा यदि माननीय राज्यपाल विधानसभा सत्र आयोजित करने जैसे मामलों में विवेक का प्रयोग करना शुरु कर दें।
वड़िंग ने राज्यपाल के फैसले का किया स्वागत
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि राज्यपाल ने आम आदमी पार्टी सरकार को संविधान, लोकतंत्र और विधायी नीतियों व नियमों को ठेस पहुंचाने से रोकने के लिए प्रशंसनीय फैसला लिया। स्पष्ट तौर पर पहले दिन से यह एक ड्रामा था और अच्छा हुआ कि सही समय पर इससे पर्दा गिर गया। आप सरकार को समझ आ गया होगा कि सांविधानिक शासन सनक व पसंद से नहीं चलता, बल्कि यह तय नियमों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आप सदन को बुलाने की इच्छा रखते हैं और उस चीज को साबित करना चाहते हैं, जिसके लिए आपसे कभी नहीं कहा गया। इसका अर्थ यह नहीं निकलता कि आपको अपनी मनमर्जी करने दी जाएगी।
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