
SYL पर पंजाब में फिर छिड़ी बहस, आप समेत पंजाब के सभी दल पानी न देने पर कायम
पंजाब-हरियाणा के बीच लंबे समय से विवाद का कारण बनी सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के बारे में सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशानिर्देशों ने पंजाब में एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है। राज्य के सभी सियासी दल एकसुर में हरियाणा को पंजाब का पानी देने का विरोध करने लगे हैं। इनमें सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) भी शामिल हो गई है।
हालांकि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा एसवाईएल पर हरियाणा का पक्ष लिए जाने से पंजाब आप के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। विपक्षी दल आप सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे घेरने की तैयारी में भी जुट गए हैं। बुधवार को हरियाणा की हिसार में आयोजित आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की रैली में उपस्थित पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को एसवाईएल का पानी देने या नहीं देने बारे तो कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया लेकिन यह घोषणा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करती है तो वह इसमें जरूर हिस्सा लेंगे। इस बीच, चंडीगढ़ में पंजाब आप के विभिन्न नेताओं ने एसवाईएल का विरोध करते हुए साफ कर दिया कि पंजाब की ओर से हरियाणा को पानी नहीं दिया जाएगा।
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक प्रताप बाजवा ने एक बयान में मुख्यमंत्री भगवंत मान को सचेत करते हुए कहा कि वह सूबे से जुड़े संवेदनशील मामलों को हलके में न लें क्योंकि यह पंजाबियों की जिंदगी का सवाल है। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह दावा कि पंजाब, हरियाणा के साथ एसवाईएल नहर के विवाद को सहयोग नहीं कर रहा है, को गलत नहीं समझना चाहिए क्योंकि पंजाब सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं है।
बाजवा ने कहा कि एसवाईएल, नदी जल, चंडीगढ़ और पंजाबी भाषी क्षेत्रों का स्थानांतरण और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में पर्याप्त प्रतिनिधित्व लंबे समय से लंबित मुद्दे हैं जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए।
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