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SYL पर गरमाई सियासत: हरियाणा के नेता मुखर, आप ने साधी चुप्पी, कहीं केजरीवाल का दौरा वजह तो नहीं

एसवाईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब सरकार ने मौन धारण कर लिया है। आमतौर पर एसवाईएल का जिक्र आते ही पंजाब सरकार का कोई न कोई मंत्री पंजाब का पानी हरियाणा को न दिए जाने के हित में खड़ा हो जाता है लेकिन अब पंजाब सरकार से कोई बयान नहीं आया। वजह साफ है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान दोनों मंगलवार को हिसार में होंगे। ऐसे में पंजाब सरकार की पानी न देने की वकालत हरियाणा में मुद्दा बन सकता है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी इस बार आदमपुर हलके से हरियाणा में आप का राजनीतिक आधार तलाशना चाह रही है। एसवाईएल का पानी दोनों राज्यों के बीच ऐसा मुद्दा है जिस पर पंजाब के हित में बोलना भी भारी पड़ सकता है और हरियाणा के खिलाफ बोलना भी नुकसान कर सकता है। पंजाब सरकार इस मामले में कोई प्रतिक्रिया भले ही न दे लेकिन केजरीवाल से यह सवाल आज हिसार में पूछे जाएंगे।

उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व सीएम हुड्डा भी इस रण में कूद गए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल हरियाणावासियों का हक है और वे इसे लेकर रहेंगे। हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है।

 

पानी पाकिस्तान जा रहा: मनोहर लाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। एसवाईएल मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम: हुड्डा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आया है। अब इसका अनुपालन केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को करना है। हरियाणा सरकार को इसके लिए प्रयत्न करना है। एसवाईएल के मुद्दे को लेकर हम पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिले थे। पहले जो राष्ट्रपति थे उनसे भी मिले थे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस बारे में हम प्रधानमंत्री से मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने समय नहीं लिया यह उनकी जिम्मेदारी थी। सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आ चुका है। अब इनकी मीटिंग का कोई मतलब नहीं है।

अब तक यह स्टैंड रहा है पंजाब सरकारों का
पूर्व में पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह अपने किसानों के हितों को नजरअंदाज कर दूसरे राज्यों को पानी नहीं दे सकता। पंजाब ने यह भी कहा था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए बल्कि इसे ट्रिब्यूनल को सुनना चाहिए। पंजाब का कहना है कि सतलुज, ब्यास नदी के पानी पर पहले उसका हक है। इसके बाद किसी और का नंबर आता है। पंजाब ने कहा था कि हम अदालती आदेश का पालन करना चाहते हैं लेकिन अपने किसानों को नजरअंदाज कर ऐसा नहीं कर सकते। हमारे किसान भूख से मरें और हम सतलुज और ब्यास नदी का पानी किसी और क्यों दें।

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