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17 अगस्त से पहले, ये काम कर ले वरना झेलना होगा नुकसान ,उपद्रव और हिंसा की भी आशंका

16 जुलाई को सूर्य का राशि परिवर्तन हुआ है। जिससे अब सूर्य और शनि आमने-सामने आ गए हैं। जो कि 17 अगस्त तक इसी स्थिति में रहेंगे। इन दोनों ग्रहों का दृष्टि संबंध बन रहा है। ज्योतिष के जानकारों ने इस स्थिति को अशुभ माना है। क्योंकि सूर्य और शनि आपस में शत्रु है। इन दो ग्रहों का एक दूसरे को देखना देश-दुनिया और कई राशियों के लिए अशुभ रहेगा।

सूर्य-शनि का अशुभ योग

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सूर्य कर्क राशि में और शनि मकर राशि में है। एक दूसरे के सामने होने से समसप्तक योग बन रहा है। शनि देव वक्री हैं, यानी टेढ़ी चाल से चल रहे हैं। शनि का वक्री होना अशुभ रहेगा। जिससे लोगों में आपसी विवाद बढ़ेंगे और अनबन होंगी। इन दोनों ग्रहों के कारण पिता-पुत्र के संबंध भी खराब होंगे। इस अशुभ ग्रह स्थिति के कारण लोगों को सफलता हासिल करने में देरी होगी।

देश-दुनिया पर असर
इस अशुभ योग से देश की जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े देशों के बीच की तनाव बढ़ सकता है। देश की के जनता असंतुष्ट रहने के साथ ही पड़ोसी देशों के साथ विवाद हो सकता है।
अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आएंगे। देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में बीमारियां बढ़ने की संभावना है। वहीं देश की किसी बड़ी हस्ती के निधन का योग भी बन रहा है। इसके साथ ही कुदरती कहर यानी बाढ़, भूकंप, चक्रवात या आगजनी की स्थिति बन सकती है। देश की जनता में रोग और आपसी विवाद के हालात बन सकते हैं। लोगों की सेहत को लेकर देश-विदेश में नई परेशानी सामने आ सकती है।
शिव और शनि पूजा
सूर्य-शनि के अशुभ असर से बचने के लिए सावन महीने में शनि पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इसलिए श्रावण मास के हर शनिवार को शनि देव की पूजा करनी चाहिए। वहीं, प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि के संयोग में की गई पूजा से शनि के अशुभ प्रभाव से होने वाली तकलीफों से राहत मिलती है। जो लोग शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान हैं उनके लिए सावन के शनिवार और प्रदोष तिथि बहुत खास है। पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई और दूसरा 8 अगस्त को रहेगा

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