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Punjab में जल रही उत्तर भारत में सबसे अधिक पराली, 80 फीसदी मामले यहीं के, BJP ने आप को घेरा

पंजाब में धान की पराली जलाने के कारण राज्य का वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ना शुरू हो गया है। वहीं, दिल्ली और एनसीआर में भी प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होने लगी है। उत्तर भारत में पराली जलाने के सबसे अधिक मामलों वाले राज्य में पंजाब का नाम एक बार फिर शामिल हो गया है। पंजाब में इस साल अभी तक पराली जलाने के 16,004 मामले सामने आए हैं। पूरे उत्तर भारत में सिर्फ पंजाब में 80 प्रतिशत पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। सख्ती के बावजूद सरकार के आदेश का किसानों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है।  

    पंजाब में सोमवार को पराली जलाने के मामलों में बड़ी वृद्धि देखी गई, जिसमें रिमोट सेंसिंग सेंटर के उपग्रहों द्वारा आग की 2,131 घटनाओं का पता चला है। पिछले दो वर्षों में इस दिन दर्ज की गई तुलना में यह आंकड़ा सर्वाधिक है। 29 अक्तूबर, 2021 को पंजाब के खेतों में आग की 1,353 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2022 में इसी दिन राज्य में 1,541 मामले दर्ज किए गए थे।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चला है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों से उत्तर भारतीय राज्यों और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए 15,461 मामलों में से इस सीजन में अब तक पंजाब में सर्वाधिक 16,004 मामले दर्ज किए गए हैं, जो करीब 80 प्रतिशत हैं। इसके बाद हरियाणा में 1,813 मामले, उत्तर प्रदेश में 705, मध्य प्रदेश में 599, राजस्थान में 227 और दिल्ली में पांच मामले हैं।

1,147 करोड़ मिलने के बावजूद पंजाब सरकार नाकाम: भाजपा 
पंजाब भाजपा के प्रदेश महासचिव डॉ. सुभाष शर्मा ने पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य की मान सरकार को घेरा है। डॉ. सुभाष ने मंगलवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि पंजाब और दिल्ली की जनता के समक्ष बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल पराली प्रबंधन में फेल साबित हुए हैं।

डॉ. सुभाष शर्मा ने कहा कि पंजाब में एक दिन में पराली जलाने की 330 घटनाएं सिर्फ मुख्यमंत्री भगवंत मान के विधानसभा क्षेत्र में हुई हैं। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए दी गई मशीनें भी वैसे ही पड़ी हुई हैं। मोदी सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों में 2,440 करोड़ रुपये जारी किए, जिसमें से 47 प्रतिशत फंड पंजाब को मिला। पंजाब को 1147 करोड़, जबकि हरियाणा को 697 करोड़ रुपये मिले। इसके बावजूद आप सरकार पराली प्रबंधन में नाकाम साबित हुई है।

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